कवि लाल सिंह दिल पंजाब के प्रगतिशील साहित्य के आन्दोलन के एक बड़े कवि माने जाते हैं। उनका जन्म पंजाब के रामदासिया (चमार) समुदाय के एक गरीब परिवार में हुआ था। लाल सिंह दिल को अपने जीवन में वर्ग संघर्ष और जातीय संघर्ष दोनों से लोहा लेना पड़ा। उनकी कविताएं और आत्मकथा उनके जीवन की त्रासद-कथाएं है। उनके जीवन काल में उनके तीन काव्य संग्रह और एक आत्मकथा ‘दास्तां’ प्रकाशित हुई। कुछ अप्रकाशित कविताएं बाद में उनके साहित्यकार मित्रों ने प्रकाशित की। यहां प्रस्तुत हैं उनकी कुछ अप्रकाशित पंजाबी कविताओं का हिंदी अनुवाद –
कितने मीठे हैं
ईश्वर को 'संबोधित शब्द '
मेरी इच्छा
मेरे अंतिम शब्द यही हों
कि "तुझ में संपूर्ण विश्वास है मुझे"
मैं चाहता हूं
चुरा लूं ये पंक्तियां
और इंकलाब को संबोधित करूं
बुद्धिजीवी
तेज दौड़ने वाला हिरण है
काल जितना तेज
बुद्धिजीवी
दूर की सोचता है
पर वह
वो खरगोश है
जिस ने कछुए की दौड़ को
मजाक समझा
मैं पलट जाऊं
पर सोच नहीं पलटती
अब पर्दा कैसा ?
हम ढीठ बने रहते हैं
मरने तक
कि वह तो एक दिन आएगा ही
सारी दुनिया मरती है
यहां तक कि इतना भी नहीं सोचते
कि अगर मौत हो
तो कैसी हो
नर्क में नागफनी के गीत नागफनी की खाना
हम शांति की लकीर
खींच रहे हैं
लकीर खींचते रहेंगे
दोस्त हम तुम्हें अभी भी दुश्मन नहीं कहते
बेसक
तुम्हें कठपुतली-नृत्य
नचाने वालों को
कभी माफ नहीं करेंगे
भले ही हम शांति की लकीर
खींच रहे हैं
वे विचार बहुत रूखे थे
मैं तेरे भीगे हुए बालों को
जब मुक्ति समझ बैठा
अगर जालिम को
सजा दी
तो एटम बम चल जाएंगे
अगर गद्दारों को
बेनकाब किया
तो एटम बम
चल जाएंगे
चल जाएं !
ज़मीरें, नजरें और हौसले
सड़ चुके हैं
शरीर कोढ़ी हो गये हैं
कला और साहित्य के सिद्धांतों के पहाड़ों जैसे ग्रंथ
हवा में खुले पड़े हैं
तेज हवा पन्ने पलटती है
जिन पर कोढ़ी-हाथ रखकर विद्वान बैठे हैं
आदर्श की तस्वीरों को
कूड़े के साथ
बाहर फेंक दिया है
'मोनालिजा' के आशिकों ने
घर सजाए हैं
वे जिन एटमों का डर दिखाते हैं
एटम तो चल चुके हैं
ज़मीरें, दृष्टिकोण और हौसले
सड़ चुके हैं
महफ़िल सजी हुई है
बच्चे खेल रहे हैं
एक के हाथ में चांद है
एक के सूरज
पूनम और शुमीता
ये एक युग की तस्वीरें हैं
दो तीन औजार
मुझे दो तीन औजार
बहुत प्यारे हैं
एक है रम्बी
यह पीछे को चलती है
और काटती है
दूसरी दरांती
कि आगे बढ़ती है धीरे-धीरे
पर जब उसे घुमाया जाता है
तब वो काटती है
तीसरा रंदा
जिसको मिस्त्री चलाते हैं
और उसका बुरादा
वे अपनी तरफ़ ही गिरा लेते हैं
मुझे किसी शायर दोस्त ने कहा था
हम वही हैं
नोट : उपरोक्त सभी कविताएं 'दीप दिलबर' द्वारा पंजाबी में संपादित पुस्तक 'लाल सिंह दिल जीवन, रचना और समीक्षा' (दिलदीप प्रकाशन- समराला, प्रथम संस्करण/2013) से ली गई हैं।
Kapil
लाल सिंह दिल की अनुदित कविताएं बहुत पहले पढ़ी थी, अद्भुत कवि हैं । बहुत खूबसूरती से अपने विचार को शिल्प में ढालने की कला कवि से सीखी जा सकती है ।