मनै ते॒रे बिन सरदा कोनी।
तौं क्यां तै हां भरदा कोनी।
मिटदी नहीं तरिस्णा बैरण,
जद लग माणस मरदा कोनी।
अपणे दुक्ख तै दुखी नहीं वो,
औरां का सुख जरदा कोनी।
बाप कमावै बच्च्यां खात्तर,
खुद की चिंता करदा कोनी।
माणस बिन तो सर बी जा सै,
पीस्यां बिन तो सरदा कोनी।
रिश्तेदार करैं आण-जाण इब,
मैं बी धक्का करदा कोनी।
सच की गौह़री पै चाल्लै जो,
वा माणस कदे डरदा कोनी।
इसा लाग्या नौकरी ‘केसर’,
राम-राम तक करदा कोनी।
कवि – कर्म चन्द केसर
संपर्क – 9354316065
वाह केसर जी, थामने तो इस कविता म्है कमाल कर दिया।
आखरी कली म्है तो जमा तोड़ पाड़ दिया “इसा लाग्या नौकरी ‘केसर’, राम-राम तक करदा कोनी।
आप न्यू ए माँ बोली हरियाणवी की सेवा करदे रहो।
मनोज मलिक (चंडीगढ़)