दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
साइकिल की अद्भुत सवारी ।
जाओ चाहे खेत-बाजार,
साइकिल सफर में कभी न हारी ।
भारी-भरकम वजन उठाती,
कच्ची-पक्की डगर पे जाती ।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
धो-पौंछ रखते चाचा गिरधारी ।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
साइकिल की अद्भुत सवारी ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश, 283111