चकबस्त बृजनारायण

यह हिन्दोस्ताँ है हमारा वतन,
मुहब्बत की आँखों का प्यारा वतन,
हमारा वतन दिल से प्यारा वतन।

वह इसके दरखतों की तैयारियाँ,
वह फल-फूल पौधे वह फुलवारियाँ,
हमारा वतन दिल से प्यारा वतन।

हवा में दरख्तों का वह झूमना,
वह पत्तों का फूलों का मुंह चूमना,
हमारा वतन दिल से प्यारा वतन।

वह सावन में काली घटा की बहार,
वह बरसात की हल्की-हल्की फुहार,
हमारा वतन दिल से प्यारा वतन।

वह बागों में कोयल, वह जंगल में मोर,
वह गंगा की लहरें, वह जमुना का जोर,
हमारा वतन दिल से प्यारा वतन।

इसी से है इस जिन्दगी की बहार,
वतन की मुहब्बत हो या माँ का प्यार,
हमारा वतन दिल से प्यारा वतन।

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