अक्षर के जादू ने—
उस पर असर बड़ा बेजोड़ किया,
चुप्पा रहना छोड़ दिया,
लड़की ने डरना छोड़ दिया।
हँसकर पाना सीख लिया,
रोना-पछताना छोड़ दिया।
बाप का बोझ नहीं
होगी वह, नहीं पराया धन होगी
लड़के से क्यों—
कम होगी, वह उपयोगी
जीवन होगी।
निर्भरता को
छोड़ेगी, ज़ेहनी जड़ता को तोड़ेगी
समता मूल्य—
जिएगी अब वह
एकतरफ़ा क्यों ओढ़ेगी।
जल्दी नहीं करेगी शादी
देर से ‘माँ’ पद पाएगी।
नाज़ुक क्यों,
फ़ौलाद बनेगी,
दम-खम काम में लाएगी।
न दहेज को—
सहमत होगी, क़ौम की कारा तोड़ेगी
घुट-घुटकर
अब नहीं मरेगी,
मंच पै चढ़कर बोलेगी।
समय और शिक्षा—
ने उसके चिंतन का रुख़
मोड़ दिया।
चुप्पा रहना छोड़
दिया, लड़की ने डरना छोड़ दिया।
दूर-दूर से चुग्गा—
लाकर नीड़ में चिड़िया काती है।
लेकिन लड़की पल—
कर बढ़कर, शादी कर
उड़ जाती है।
लड़की सेवा करे—
बुढ़ापे में तो क्यूँ लड़का चाहें?
इसी प्रश्न के—
समाधान ने भीतर तक झकझोर दिया
चुप्पा रहना छोड़—
दिया, लड़की ने डरना छोड़ दिया।