झरना – रोजलीन 

 कविता

झरना

अनंत कालों से बहता झरना
इतना शांत
कभी नहीं देखा
ऐसा क्या हुआ?
कि –
न जल के
गिरने का शोर सुनता है
और न बहने का।


स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा( मई-जून 2016) पेज- 61
 
 
 

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