ब्रेख्त की कविताएं

युद्ध जो आ रहा है

युद्ध जो आ रहा है
पहला युद्ध नहीं है
इससे पहले भी युद्ध हुए थे।
पिछला युद्ध जब खत्म हुआ
तब कुछ विजेता बने और कुछ विजित
विजितों के बीच आम आदमी भूखों मरा
विजेताओं के बीच भी मरा वह भूखा ही
(1936-38)


नेता जब शांति की बात करते हैं

नेता जब शांति की बात करते हैं
आम आदमी जानता है
कि युद्ध सन्निकट है
नेता जब युद्ध को कोसते हैं
मोर्चे पर जाने का आदेश
हो चुका होता है।
(1936-38)


हालीवुड

रोजाना रोटी कमाने की खातिर
मैं बाजार जाता हूं, जहां झूठ खरीदे जाते हैं
उम्मीद के साथ
मैं विक्रेताओं के बीच अपनी जगह बना लेता हूं।
(1941-47)


एक चीनी शेर की नक्काशी को देखकर

तुम्हारे पंजे देखकर
डरते हैं बुरे आदमी
तुम्हारा सौष्ठव देखकर
खुश होते हैं अच्छे आदमी
यही मैं चाहूंगा सुनना
अपनी कविता के बारे में।
(1941-47)


ऊपर बैठने वालों का कहना है

ऊपर बैठने वालों का कहना है :
यह महानता का रास्ता है
जो नीचे धंसे हैं, उनका कहना है
यह रास्ता कब्र का है।
(1936-38)


जो बोलते हो उसे सुनो जी

अध्यापक, अक्सर मत कहो कि तुम सही हो
छात्रों को उसे महसूस कर लेने दो खुद-ब-खुद
सच को थोपो मत :
यह ठीक नहीं है सच के हक में
बोलते हो जो उसे सुनो भी।।


नया जमाना

अचानक नहीं शुरू होता है नया जमाना।
मेरे दादा पहले ही एक नये जमाने में रह रहे थे
मेरा पोता शायद पुराने जमाने में ही रह रहा होगा।
नया गोश्त पुराने कांटों से ही खाया जाता रहा है
वे नहीं थीं कारें पहली
न टैंक
न हमारी छतों के ऊपर उड़ते हवाई जहाज
न ही बमवर्षक
नए ट्रांसमीटरों के जरिए चली आई पुरानी बेवकूफियां
बुद्धिमानी चली आई मुंह जुबानी।
(1941-47)


कामयाबी

महाशय ‘क’ ने रास्ते से गुजरती हुई एक अभिनेत्री को देखकर कहा-‘काफी खूबसूरत है यह।’ उनके साथी ने कहा-‘इसे हाल ही में कामयाबी मिली है, क्योंकि वह खूबसूरत है।’ ‘क’ महाशय खीझे और बोले-‘वह खूबसूरत है, क्योंकि उसे कामयाबी हासिल हो चुकी है।

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