भर इक नई परवाज़ पंछी! भर इक नई परवाज़
जितने छोटे पंख हैं तेरे
उतने लम्बे राह हैं तेरे
तेरी राहों में आखेटक ने किया है गर्द -गबार
पंछी! भर इक नई परवाज़
जिस टहनी पर वास तेरा है
उस टहनी का हाल बुरा है
तेरे उडऩे से पहले कहीं उड़ न जाये बहार
पंछी! भर इक नई परवाज़
झनक-झनक निकली हथकडिय़ाँ
पर तूने जोड़ी नहीं कडिय़ाँ
तेरे बच्चों तक फैला है बाजों का प्रहार
पंछी! भर इक नई परवाज़
तू लोहे में चोंच मढ़ाकर
डाल-डाल पर नजऱ गड़ाकर
खेतों में विखरे चुग्गे का बन जा पहरेदार
पंछी! भर इक परवाज़ .
पंजाबी से अनुवाद : परमानंद शास्त्री