मजदूर-किसान: कुछ कविताएं- जयपाल

जयपाल

बच्चे 

होटलों पर बर्तन माँजते बच्चे 
घरों, दुकानों, कारखानों और खेतों में काम करते बच्चे
बूट पालिश करते, कूड़ा बीनते और भीख माँगते बच्चे
दो पैसे के लिए रोते-गिड़गिड़ाते और पैरों में पड़ते बच्चे
लुटते-पिटते, गालियाँ और थप्पड़ खाते बच्चे
एक महान देश की महानता से बेख़बर बच्चे। 

खाली हाथ

मुँह अँधेरे उठकर 
सूखी रोटियाँ पोटली में बाँधकर
रोते-बिलखते बच्चों को छोड़कर
पत्नी से करके झूठे-सच्चे वायदे
वे आ जाते हैं शहर के चौराहे पर
अपने हाथों अपने हाथ बेचने के लिए
सिर नीचा कर
वे दिन भर शहर की सूरत सँवारते हैं 
और अपनी सूरत बिगाड़ते हैं 
दिन ढलने पर
सिर नीचा कर
मुँह लटकाए
चल पड़ते हैं वापिस
अपने-अपने घरों की तरफ
हताश-निराश
जैसे श्मशान से लौटते हैं लोग खाली हाथ। 

गाँव

सूखा, बाढ़, सर्दी, लू 
भूख, प्यास, बीमारी और मौत के बोझ को पीठ पर लादे हुए
नदियों, जंगलों, पहाड़ों और मैदानों के बीच दूर-दूर तक यात्रा करते हुए
थके हुए से
ठगे हुए से
माथे पर रखे हुए हाथ बिलखते हुए
फूटी किस्मत के साथ 
सदियों से काट रहे ज़िन्दगी
भगवान के सहारे तलाश रहे अपना चेहरा 
देश के नक्शे पर। 

किसान

शहरों और गाँवों के बीच फैले खेतों में 
जब सर्द रात सन्नाटा ओढ़ कर उतरती है
कोहरा दूर दूर तक पसर जाता है
तब किसान हाथ में लाठी लेकर
देश के पेट की सुरक्षा करता है
खुद असुरक्षित रहता है 
और
आत्महत्या कर लेता है। 

कहाँ वह चली गई

(i)
खिली हर सुबह
तपी हर दोपहर
ढली हर शाम 
अंधकार में दबी रही रात भर। 
(ii)
ढोती रही पत्थर
तोड़ती रही पत्थर
खाती रही पत्थर। 
(iii) 
पसीने से महक उठे खेत
धुल गए गाँव-नगर-बस्तियाँ
पल गए घर-परिवार। 
(iv) 
ईंट गारा बनकर
दीवारों में चिन गई
बजरी बन सड़कों पर
पाँव तले बिछ गई। 
(v)
कोई भी न देख सका
कितना वह कर गई
किसी को न पता चला 
कहाँ वह चली गई। 

हमारा देश

कुछ बाढ़ में बह गए 
कुछ तूफान में उड़ गए
किसी को लू लग गई
किसी को ठण्ड निगल गई
किसी ने सल्फास खा लिया 
कुछ पंखे से लटक गए
कुछ नहर में जा गिरे
कुछ कुएं में कूद गए
कुछ छत से गिर पड़े
किसी पर छत गिर पड़ी 
कोई ट्रेन के नीचे कट गया
कोई आग में झुलस गया
कोई घर से चला गया
किसी का घर चला गया 
कोई रोता चला गया
कोई भूखा चला गया
कोई काम के बोझ से मरा
कोई काम की आस में मरा
कोई कर्ज में मरा
कोई मर्ज़ में मरा
किसी को धर्म ने मारा
किसी को वर्ण ने मारा 
इन्सान गया
ईमान गया
जहान गया
बच गया शेष
हमारा देश। 

Leave a reply

Loading Next Post...
Sign In/Sign Up Sidebar Search Add a link / post
Popular Now
Loading

Signing-in 3 seconds...

Signing-up 3 seconds...