चीख-चीखकै गळे सूखगे कोए सुणता ना आवाज़ रै कती भूखे प्यासे फिरैं भटकते जो पैदा करते नाज रै
आच्छे समय के सपन्यां नै कर दिए ब्योन्त कुढाळे रै सांझ धूंधळी हो थी पर इब दिन भी सैं म्हारे काळे रै खेतां म्ह हाड़ गळावणिए ना चढ़ावा खावण आळे रै हाम जाणां ज्यब दर्द किसा हो पायां के फूटैं छाळे रै हक नहीं म्हारा दे सकता तै छोडकै कुरसी भाज रै कती भूखे प्यासे फिरैं भटकते जो पैदा करते नाज रै
कदे मंडी कदे फंडी लूटते के लुटणा ए तकदीरां म्हं वैं भी तै म्हारे रहते कोन्या जो बिठा दिए वज़ीरां म्हं गरमी सरदी चौमासा गुजरै कपड़े झीरम झीरां म्हं रोम रोम म्हारा जकड़या सै रै कर्जे की जंजीरां म्हं भा ठीक जै मिलै फसल का कुण माफ करावै ब्याज रै कती भूखे प्यासे फिरैं भटकते जो पैदा करते नाज रै
मेहुल माल्या कोठारी ना हाम नीरव मोदी बरगे रै खज़ाना खाली करकै देस का विदेसां में डिगरगे रै कित जावां हाम कड़ै ठिकाणा सोच सोच कै डरगे रै मेहनतकश कई इस्सै चिन्ता में आत्म हत्या करगे रै जिसमें जीणा मुश्किल होज्या चाहिए ना इसा राज रै कती भूखे प्यासे फिरैं भटकते जो पैदा करते नाज रै
खुद नै खेवैया वो समझै सै जिसनै देखी नैया ना गऊ रक्षक इसे बणे फिरैं सैं जिनके घर में गैया ना हम सीधी सादी बात करणीए जाणां छंद सवैया ना म्हारी वेदना गाण की हिम्मत रखता कोए गवैया ना मनजीत भोळा साजबाज की कलम नहीं मोहताज़ रै कती भूखे प्यासे फिरैं भटकते जो पैदा करते नाज रै
ग़ज़ल
क्यों परेशां कर रहा है बोल हिन्दोस्तान को फैसला फसलों का जालिम करने दे दहकान को
दौर है बेदारियों का हम हुए बेदार गर क्यों नहीं तू दे रहा है रास्ता इमकान को
होश हैं बाकी अभी हाँ पढ़ लिया कानून भी कौन करता है पसँद तू ही बता नुकसान को
कौन कहता है यहाँ पर बोलती लाशें नहीं दे रहीं कब्रें समर्थन देख ले शमशान को
ये सुना बनवा रहा है इक इमारत तू नई दाख़िला तेरा न होगा याद रख संविधान को
हैं हवाएं तेज लेकिन डरने वाला कौन है हम बुझे तो क्या मिलेगा सोच आतिशदान को
क्या सियासत का यही दस्तूर 'भोला' ठीक है आदमी समझा गया ना आज तक इंसान को