इस अंतिम बेला में, तुम्हें बताता चलूँ मैं यह कि जिसका दर्शन मैंने किया और जो किया मैंने प्राप्त वह अतुल्य है।
इस प्रकाश के समंदर में कभी कभी शतदल कमल विराजता है मैं कृतज्ञ हूँ कि मैंने मधुर पान किया है उसके अमृत रस का।
इस विश्वरूप खेलघर में जो खेल खेले जाते हैं आपके द्वारा आखिर उनसे फर्क ही क्या पड़ता है तब, जब…आप उस अभूतपूर्व अनुभूति को करते हैं महसूस वह जो हर देह के भीतर है मौजूद आखिरकार आपकी आँखें हो ही जाती हैं भावविभोर।
और यदि अब यह यहाँ समाप्त भी हो जाता है तो भले ही हो जाए लेकिन इस अंतिम बेला में यह कर्तव्य है मेरा कि मैं तुम्हें बताता चलूँ...।
मूल पाठ-
যাবার দিনে এই কথাটি বলে যেন যাই-- যা দেখেছি যা পেয়েছি তুলনা তার নাই। এই জ্যোতিঃসমুদ্র-মাঝে যে শতদল পদ্ম রাজে তারি মধু পান করেছি ধন্য আমি তাই-- যাবার দিনে এই কথাটি জানিয়ে যেন যাই।
বিশ্বরূপের খেলাঘরে কতই গেলেম খেলে, অপরূপকে দেখে গেলেম দুটি নয়ন মেলে। পরশ যাঁরে যায় না করা সকল দেহে দিলেন ধরা। এইখানে শেষ করেন যদি শেষ করে দিন তাই-- যাবার বেলা এই কথাটি জানিয়ে যেন যাই।