हमने देश उजड़ते देखा,संस्थानों को मरते देखा। धर्म-जात के नाम यहाँ पर, निर्दोषों को मरते देखा। न्याय के नाम पे निरा बखेड़ा, न्याय का मन्दिर उजड़ते देखा। मासूमों का बलात्कार अर निर्मम हत्या होते देखा। हवस के हैवानों के हाथों, मासूम सुहाग उजड़ते देखा। धर्म नाम खण्डहर के ऊपर, सम्प्रदायों को लड़ते देखा। समझे ना जो धर्म की भाषा, उनको लड़ते-मरते देखा। सामाजिक सद्भाव को हमने, टूटते और बिखरते देखा। संस्कृति के सौपानों को, एक-एक कर गिरते देखा। खड़े-खड़े असहाय हमीं ने, राष्ट्रपिता को मरते देखा। शौहदा का अपमान यहाँ कातिल सम्मानित होते देखा। हमने देश उजड़ते देखा। संस्थानों को मरते देखा।।
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तेरी दुनिया में मन लागे नाऽ हाय। सच यहाँ पर भूखो डोले, झूठ पेट भर गाय, तेरी दुनिया में-----------------------।। झूठ यहाँ सत्ता सुख भोगे, सच्च कीड़े खाय, धर्म नाम पर हत्या कर, कातिल नायक कहलाय, तेरी दुनिया में मन--------------------।। बेईमान दौलत में खेले शरीफ जेल में जाय, नौटंकी जो करे शान से, ऊ हीरो कहलाय, तेरी दुनिया में मन---------------------।। सच बोले तो मार पड़े अर झूठो आँख दिखाए, पढ़ो-लिखो अनपढ़ के आगे, अदब से शीश झुकाये, तेरी दुनिया में मन-----------------------।। झूठे वायदे,धर्म के प्यादे, दुनिया खूब लुभाएं, सांच कहें इनको ना बाएं, खून के आंसू रुलाये, तेरी दुनिया में मन लागे नाऽ हाय।।