1.
भूली बिसरी याद पराणी लिख द् यूं के
मैं भी अपणी राम काह्णी लिख द् यूं के
बणकै खंडहर रोवै अपणी हालत पै
उस कुएं का मीठा पाणी लिख द् यूं के
मार् या करते छाळ जोह्ड म्हं बड़ पै तै
केह् रु -मेह् रु सारे हाणी लिख द् यूं के
कचरी गोअल बेर लसूड़े अर नाप्पै
कुदरत के मेव्यां की ढाणी लिख द् यूं के
सुणी सणाई सबनैं पीढ़ी दर पीढ़ी
रांझा हीर की प्रेम काह् णी लिख द् यूं के
फूटे आंडे खिंड् या आलणा चिड़िया का
दरख़त की वा टूटी टाह् णी लिख द् यूं के
खेल्या करती गुड् डा गुड़िया नीम्ब तळै
कमला बिमला शिमला राणी लिख द् यूं के
कती नहीं इब तलक भी प्यार की पूणी
धरम जात म्हं उळझी ताणी लिख द् यूं के
करकै याद घर गाम खेत नैं बुढ् ढे की
आंख्यां के म्हं रिसदा पाणी लिख द् यूं के
ईख बाजरा बाड़ी जीरी कणकां की
करैं लामणी बीर कमाणी लिख द् यूं के
पुरखां की जैदाद लुटा दी हो जिसनैं
‘केसर’उनकी कुणबा घाणी लिख द् यूं के
2.
ठेकेदार का देक्खो हाजमा क्यूकर उनैं डकारे।
रेता-रूता, बजरी-बूजरी, पत्थर-पाथर सारे।
मतलब सेती आवै-जावै मतलब सेती बोल्लै,
सगैर-सगूर, भाई-भूई, मित्तर-मात्तर सारे।
खंडहर देखकै बुडढा बोल्या सब मर खपग्ये उस म्हं,
राजे-रूजे, राणी-रूणी, नौकर-नाककर सारे।
फाग्गण म्हं रंग छोड़ लुगाई मणसा ऊपर गेरैं,
पाणी-पूणी, चीक्कड-चाक्कड, गोबर-गाबर सारे।
बाबा की करामात देखिये सब चरणा म्ह बैठे,
धाक्कड-धुक्कड, अफसर-ऊफसर, लीड़र-लाड़र सारे।
रह्ये नहीं इब ओरै-गोरै दरखत झाड-बोझड़े,
जाल-जूल, कैर-कूर, कीकर-काक्कर सारे।
चौगिरदै इब दिखते कोन्या के बेरा कित लुकग्ये,
तोते-ताते, चील-चूल, तीतर-तातर सारे।
याद आवै सै जाड्या म्हं जब जिब ददकीड़ी बाज्जै,
धूणा-धाणा, गीठी-गाठी, हीटर-हाटर सारे।
देर सवेर आण मिलैंगे इसे धूल म्ह मैं भी।
कंवर-कुंवर, ठाक्कर-ठुक्कर, केसर-कासर सारे।
खूबसूरत