भरी दुपहरी एक अजनबी शहर में घूम रहा हूँ
हाथों में लिए बिटिया के सैंडिल
ढूंढता कोई मोची
जो सी दे सैंडिलों की उधड़ी हुई बद्धियाँ
संडे है आज
और सब बैठने वाले अपने-अपने घरों में फरमा रहे हैं आराम
कर रहे हैं कुछ घर भर के काम
जो हफ़्तों से रहे अधूरे
और बीवी जिनके लिए डांट चुकी उन्हें कई बार
बिटिया को क्या बताऊँ
कि कोई मोची नहीं मिला कहीं भी इस शहर में
न जानता मैं किसी का पता
कि हाथ में सैंडिल लिए चला जाऊं उनके दरवाज़े
और प्रार्थना करूँ सैंडिलों को ठीक करने की
कि भाई मेरी बिटिया उभाणे पाँव खड़ी है
और दूसरी जोड़ी खरीदने की अभी हिम्मत नहीं है
कौन पसीजेगा देखकर मेरी हालत
और बिटिया के सैंडिल लिए मुझे देख
किसको याद आएंगी अपनी बेटियां
जो बहुत-सी तो मारी जा चुकीं गर्भ में
और बहुत-सी भेज दी गईं अजनबी घरों में सदा के लिए
इस तरह जैसे नहीं जरूरत है अब उनकी कभी
कौन मोची ले आएगा अपनी संदूकची
और हाथ में लिए बिटिया के सैंडिल छीन कर कहेगा मुझसे
लाओ भाई! मैं ठीक किए देता हूँ अभी अपनी बिटिया के सैंडिल
एक होर्डिंग कई दशकों से अविचल खड़ा है
आंधी वर्षा तूफ़ान उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाए हैं
यह होर्डिंग है कि
हर बार राज्य के मुख्यमंत्री के चेहरे से पटा होता है
सरकार जब भी नई बनती है
पहला आदेश होर्डिंगों के बदलने का ही देती है
पेंटर सरकारी आदेश की अनुपालना में हर बार
नए मुख्यमंत्री का चेहरा अपनी ब्रुश से बनाता है
और बाक़ी बची जगह में फोटो वाले की प्रशंसा में
बहुत कुछ लिखता है
कुछ होर्डिंग हैं जैसे कि यह जो आपके सामने है
हर बार नया मुख्यमंत्री आने के बाद भी
पुराने मुख्यमंत्री के चेहरे को छुपा नहीं पाता है
कई-कई बार तो ऐसा होता है कि
पुराने मुख्यमंत्री का चेहरा नए मुख्यमंत्री के चेहरे से इतना मिल जाता है
न नए मुख्यमंत्री का चेहरा ठीक से सामने आ पाता है
न पुराने मुख्यमंत्री का
ऐसा लगता है कि
पुराना मुख्यमंत्री अभी गया नहीं है
वह नए मुख्यमंत्री को धकेलने की फिराक में है
उसे विश्वास है कि यह भोली जनता
फिर लाकर बैठाएगी उसे कुर्सी पर
यह सही है कि जब भी जनता को लगता है कि
होर्डिंग पर छपा मुख्यमंत्री घमंडी अधिक हो गया
तो वह फ़ोटो के पीछे छुपे पुराने मुख्यमंत्री को आगे ले आती है
बेशक लोकतंत्र है
पर जनता के पास एक ही विकल्प है
या तो यह मुख्यमंत्री
या वह मुख्यमंत्री