कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर एंव देस हरियाणा पत्रिका के संपादक डा.सुभाष चंद्र ने कहा कि शिक्षा ही जिंदगी का गेम चेंजर है।शिक्षा से सबकुछ बदल जाता है।भारत की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले यदि शिक्षा के लिए काम ना करती तो आज भी महिलाएं पढ नहीं पाती और ना ही उनकी जिंदगी में बदलाव आते।प्रो.सुभाष चंद्र गांव बरसत की सैनी चौपाल में सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।गोष्ठी का आयोजन सत्यशोधक फाउंडेशन एंव सृजन कला मंच बरसत द्वारा किया गया था।कार्यक्रम में डा.सुभाष चंद्र द्वारा सावित्रीबाई फुले पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन भी किया गया।कार्यक्रम का संचालन शिक्षक नरेश सैनी ने किया।
डा.सुभाष चंद्र ने कहा कि जिन लोगों ने दूसरों की जिंदगी बदली है वे संघर्षों से निकले हैं।कबीर.रैदास व बुद्ध की लंबी श्रंखला है जो विचार,चिंतन,चर्चा व संघर्ष की धारा है।जोतिबा फुले,सावित्रीबाई फुले व भीम राव अंबेडकर भी इसी कडी का हिस्सा हैं।उन्होंने भी अपने अनुभव व जीवन संघर्षों से सीखा है।इन लोगों के विचार एंटी वायरस का काम करते हैं।उन्होने कहा कि सावित्रीबाई के ऊपर कीचड फेंका गया पर वे लडकियों को शिक्षित करती रही।उन्होंने 1848 में लडकियों के लिए पहला स्कूल खोला जो उस समय सोचा भी नहीं जा सकता था।उन्होंने कहा कि हमें इनके जीवन संघर्षों से प्रेरणा लेकर समाज को शिक्षित करने का कार्य करना चाहिए।
विचार गोष्ठी को शिक्षक चन्द्रवती शर्मा, महिंद्र खेडा,अरुण कैहरबा व साहित्यकार राधेश्याम भारतीय , रंगकर्मी प्रवेश त्यागी व सुशील चौहान,संजय सैनी ने भी संबोधित किया।कार्यक्रम में पंचायत सदस्य नरेश सैनी,अंकित, रिंकू व उनकी टीम,जिले सिंह, प्राध्यापक ललित कुमार, वीरभान, राकेश,किशोर कुमार, परमीत सिंह व स्कूल की लडकियों को सहयोग के लिए सम्मानित किया गया।थियेटर आर्ट ग्रुप द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया गया।जन युवा शक्ति व भारत विकास परिषद ने मुख्य अतिथि को सम्मानित किया।
इस मौके पर हरियाणा विधालय अध्यापक संघ के प्रधान मान सिंह चंदेल,साहित्यकार दयाल जास्ट,पंच रामदास, परमिल,अनिल सैन,भारत विकास परिषद बरसत शाखा संरक्षक डा.संजीव कुमार,कोषाध्यक्ष सुधीर शर्मा, जन युवा शक्ति, टैग व सृजन कला मंच के कलाकार उपस्थित रहे।