हांसण खात्तर मनवा बेफिकरा चहिये सै।
सुंदर होण तईं हिरदा सुथरा चहिये सै।।
कहणे को तो बहुत फिरैं सैं मुंह नै बांएं
साच्ची बात कहण खात्तर जिगरा चहिये सै।
आज तेरै सिर फोड़्या कल मेरै फोड़ैगा
उसनै तो हर रोज नया ठिकरा चहिये सै।
बह्र निभावण भर तै बस गजल नहीं बणदी
मकसद पूरा करदा हर मिसरा चहिये सै।
बाग जल़ै पर कह माल़ी, पील़े फूल खिले
झूठ चलाण तईं माणस नुगरा चहिये सै।