मात, पिता और भाई, ब्याही, सब नकली परिवार – धनपत सिंह

मात, पिता और भाई, ब्याही, सब नकली परिवार
दुनियां के म्हं बड़ा बताया पगड़ी बदला यार

किरसन और सुदामा यारी लाए सुणे हों
एक ब्राह्मण और एक हीर कै जाए सुणे हों
एक रोज सुदामा किरसन के घर आए सुणे हों
सुदामा जी के चावल हर नैं खाए सुणे हों
फेर सुदामा का किरसन नैं कर्या आप किसा घरबार

महाराणा प्रताप सुणे हों बहादूर वीर थे
अकबर शाह के स्याहमी जिसके चाल्ले तीर थे
छूट गई चित्तौड़ बण म्हं बणे फकीर थे
रोटी के मोहताज कपड़े लीरम लीर थे
पड्या वक्त पै टूट के एक भामाशाह साहुकार

अमर सिंह राठोड़ सुण्या हो कैसा महाराज था
नौ कोठी मारवाड़ म्हं राजों का ताज था
अर्जुन गोड नैं मार दिया साळा बे लिहाज था
कैथल का पठान सुण्या हो नरशेबाज था
अमर सिंह की ल्हाश के ऊपर पड्या टूट ललकार

एक जोधापुर का जैमल सच्चा रजपूत था
उसका चाचा मालदेव असली कमकूत था
बाप बेट्टयां की हुई लड़ाई बाज्या जूत था
उस जैमल का दोस्त दिलदार खां काफी मजबूत था
कहै धनपत सिंह बाप नैं बेटा, बेटे नैं बाप दिया मार

जिला रोहतक के गांव निंदाणा में सन् 1912 में जन्म। जमुआ मीर के शिष्य। तीस से अधिक सांगों की रचना व हरियाणा व अन्य प्रदेशों में प्रस्तुति। जानी चोर, हीर रांझा, हीरामल जमाल, लीलो चमन, बादल बागी, अमर सिंह राठौर, जंगल की राणी,रूप बसंत, गोपीचन्द, नल-दमयन्ती, विशेष तौर पर चर्चित। 29जनवरी,1979 को देहावसान।

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