Related imageबचपन के दिन

बण कै पाळी रोज सबेरे
सिमाणै म्हैं जाया करते।
डांगरां नैं हांक-हांक कै
घास-फूस भरपेट चराया करते।
बैठ खेत के डोळे ऊपर
भजन ईश्वर के गाया करते।
दोपहरी म्हैं जब भूख लागती
शीशम तळै गंठे रोटी खाया करते।
दूसरे के खेत म्हैं बड़ ज्यांदी भैस
झट मोड़ के ल्याया करते।
सच कहूं सूं मैं सुण ले ‘विनोद’
बचपन के वे दिन सबनै भाया करते।
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’

Avatar photo

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *