एक स्त्री को कुछ भी बनने से पहले एक अच्छी पत्नी, एक अच्छी मां के रूप में खुद को साबित करना पड़ता है। और इसका मतलब है वर्षों का इंतजार। लेकिन मेरे पास इंतजार करने का समय नहीं था। मैं लेखन के लिए बिल्कुल अधैर्य थी। इसलिए मैंने जीवन के शुरुआती दौर से ही लिखना प्रारंभ कर दिया।
मुझे लगता है कि किसी भी व्यक्ति को उसके अनुभवों से अलग करना मुश्किल है। कोई भी व्यक्ति अपने अनुभवों का समुच्चय होता है। मैं चित्रकला, कविता, कहानी, नाटक के साथ प्रयोग करती रही और एक स्तंभकार के रूप में भी काम किया। इतने सारे अनुभवों के साथ मैं एक पेशेवर लेखक बन गई, लेकिन सिर्फ एक कवि के लिए ऐसा करना मुश्किल है, क्योंकि इस देश में कविता नहीं बिकती है। मुझे जीने के लिए स्तंभकार बनना पड़ा। यह मेरे लिए काफी कठिन रहा है।
लेकिन स्तंभ लेखन से मुझे जीवित रहने और खुद को बचाए रखने में मदद मिली। और मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है। कुछ लोगों का कहना है कि मुझे किसी एक ही माध्यम पर केंद्रित रहना चाहिए था। लेकिन मैं अपने जीवन को कई अनुभवों से भरना चाहती थी, क्योंकि मुझे विश्वास नहीं है कि कोई दोबारा जन्म ले सकता है।
इसलिए मैं चित्रकार, कवि, एक अच्छी मित्र, एक अच्छी मां-यानी हर तरह का अनुभव यहीं हासिल कर लेना चाहती थी। लेकिन मुझे लगता है कि लेखन के पेश में आने के लिहाज से मैं गलत लिंग में पैदा हो गई। महिलाओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वह रसोई घर के दायरे तक ही खुद को सीमित रखे। एक लेखक या कवि के रूप में उसकी भूमिका को समाज स्वीकार नहीं करना चाहता।
एक स्त्री को कुछ भी बनने से पहले एक अच्छी पत्नी, एक अच्छी मां के रूप में खुद को साबित करना पड़ता है। और इसका मतलब है वर्षों का इंतजार। लेकिन मेरे पास इंतजार करने का समय नहीं था। मैं लेखन के लिए बिल्कुल अधैर्य थी। इसलिए मैंने जीवन के शुरुआती दौर से ही लिखना प्रारंभ कर दिया। संभवतः मैं सौभाग्यशाली थी कि मेरे पति ने इस तथ्य की सराहना की कि मैं परिवार की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही हूं। इसलिए उन्होंने मुझे रात को सारा काम निबटाकर लिखने की अनुमति दी।
– अंग्रेजी और मलयालम की भारतीय लेखिका
साभार अमर उजाला