आम्बेडकर और रविदास – जयपाल

अधिकारी महोदय
तुम चाहे जिस भी जाति से हों
हम अपनी बेटी की शादी तुम्हारे बेटे से कर सकते हैं
पर हमारी भी एक प्रार्थना है
सगाई से पूर्व तुम्हें अपने घर से
रविदास और आम्बेडकर के चित्र हटाने होंगे

कल को हम रिश्तेदार बनेंगे
तो आना जाना तो होगा ही
कैसे हम तुम्हारे घर ठहरेंगे
कैसे खाना खाएंगे
और कैसे दो बात करेंगे
जब सामने आम्बेडकर-रविदास होंगे

रात को सोते वक्त आंख खुल गई
तब दोबारा नींद कैसे आएगी
जब सामने आम्बेडकर-रविदास होंगे

अम्बाला में मेरे कई उच्च अधिकारी मित्र हैं
कई रिश्तेदार भी ऊंचे पदों पर हैं
हालांकि ऊंचे पद पर तो आप भी हैं
पर बात तो तब बिगड़ेगी
जब सामने आम्बेडकर-रविदास होंगे

हमारी बेटी अभी नादान है
सारी बातें नहीं समझती
शादी के बाद
दो-चार दिन तो कहीं बाहर भी कट जायेंगे
पर बाकी के दिन कैसे कटेंगे
जब सामने आम्बेडकर-रविदास होंगे

हमारी बेटी पूजा-पाठ करती है
वह भगवान शंकर का ध्यान कैसे लगाएगी
जब सामने आम्बेडकर-रविदास होंगे

बोलो अधिकारी महोदय
कैसे कटेगी यह पहाड़ सी जिंदगी
कैसे निभेगी यह पहाड़ सी रिश्तेदारी

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3 thoughts on “आम्बेडकर और रविदास – जयपाल

  1. यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करती हुई उम्दा रचना।

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