विक्रम राही
छब्बीस जनवरी आले पर ना बात होवै सविंधान की
टैंक तोप झांकी भाषण तै खुश जनता हिन्दूस्तान की ।
सविंधान सभा नै लिखया म्हारा संविधान तीन साल मैं
बाबा साहब अम्बेडकर को तमनै ल्याणा चाहिए ख्याल मैं
111 सविंधान पढ़े उननै देश हालात और काल मै
सबतै बड़ा सविंधान सौंप दिया देश हित की ताल मै
गुलामी तै बाहर लिकड़ कद्र करो उस आली पहचान की ।
हम भारत के लोग बणावां खुद अपणे पै लावां सां
26 जनवरी 1950 तै सम्पूर्ण प्रभुसत्ता चाहवां सां
लोकतंत्र और गणराज्य का इब परचम लहरावां सां
समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता कै वारे वारे जावां सां
उस सविंधान सभा नै चाही खुशहाली हर इंसान की
राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक न्या भी चाहिए सै
माणस की गरिमा पै इब ना कोए भी घा चाहिए सै
सबनै बोलण का हक हो आजादी का चा चाहिए सै
प्रतिष्ठा माणस की और समता उसके मा चाहिए सै
सिख इसाई बौद्ध जैन और हिंदू मुसलमान की
एकता भारत की जरुरी भाईचारा भी चाहिए
प्रस्तावना मै लिख राख्या समझ इशारा भी चाहिए
संविधान नै जो ना मानै वो भाई हमारा ना चाहिए
इस सांझी संस्कृति का हामनै कोए हत्यारा ना चाहिए
विक्रम राही देश की खातिर ना परवाह मनै ज्यान की ।