विचार आते हैं -मुक्तिबोध

कविता


मुक्तिबोध



विचार आते हैं

विचार आते हैं-
लिखते समय नहीं,
बोझ ढोते वक्त पीठ पर
सिर पर उठाते समय भार
परिश्रम करते समय
चांद उगता है व
पानी मेें झलमलाने लगता है
हृदय के पानी में
विचार आते हैं
लिखते समय नहीं
…पत्थर ढोते वक्त
पीठ पर उठाते वक्त बोझ
सांप मारते समय पिछवाड़े
बच्चों की नेकर फचीटते वक्त!!!
पत्थर पहाड़ बन जाते हैं
नक्शे बनते हैं भौगोलिक
पीठ कच्छप बन जाते हैं
समय पृथ्वी बन जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *