हरिचन्द

हरिचन्द

जिला जीन्द में सफीदों के पास हाट गांव निवासी हरिचन्द का जन्म 16 अक्तूबर 1941 को हुआ। गांव से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। राज मिस्त्री काम करते थे और आरा मशीन चलाते थे। सन् 1980 से वामपंथी आन्दोलन से जुड़े और अपनी अन्तिम सांस तक (11 मई 2010 ) जुड़े रहे। इनकी रागनियों में माक्र्सवादी दृष्टि का प्रभाव है। आर्थिक-सामाजिक-लैंगिक शोषण व भेदभाव के साथ श्रमिक आन्दोलन के प्रति चिन्ताएं इनकी रागनियों के प्रमुख विषय हैं।

1

उल्टी गंगा पहाड़ चढ़ा दी इसा नजारा देख लिया
खेती करता भूखा मरता किसान बिचारा देख लिया
 
एक मिन्ट की फुरसत ना तूं 24 घन्टे काज करै
रोटी ऊपर नूण मिर्च फेर धर्या मिलै सै प्याज तेरै
काम की बाबत सब कुणबे की गेल्यां भाजो भाज करै
फेर भी पेट भराई घर म्हं मिलता कोन्या नाज तेरै
घर म्हं बडऱे बाज तेरै ना हुवै गुजारा देख लिया
 
उठ सबेरे हळ जोड़ै तूं थारा बूढ़ा जावे पाळी सै
छोरा भेज दिया पाणी पै बुढिय़ा गई रूखाळी सै
रोटी और जुआरा ले आवे तेरी घर आळी सै
सारा कुणबा मंड्या रहै फिर भी घर मैं कंगाली सै
तू रहै खाली का खाली सै तेरै टोटा भार्या देख लिया
 
भूखा मरता करजा लेणे फेर बैंक मैं जावे सै
बाबु जी बाबु जी करकै छीदे दांत दिखावे सै
रिश्वत ले ले ठोक म्हारे पै फेर म्हारा केस बणावे सै
धरती तक गहणैं धरलें जब हमनै कर्ज थ्यावे सै
लूट लूट खावै सै उनका पड़ता लारा देख लिया
 
न्यूं म्हारा पैंडा छुटै कोन्या चाहे दिन रात कमाए जा
हमैं लुटेरा लूट लूट कै बैठ ठाठ तै खाए जा
बामण बणिया जाट हरिजन कहकै हमैं लड़ाए जा
हरिचन्द तेरी बी वा यूनियन न्यूएं लूट मचाए जा
टूटे लीतर पाट्या कुरता फुट्या ढारा देख लिया
 

2

सुण मजदूर किसान मान तेरी दुख मैं ज्यान घली है
 
सारा कुणबा मंड्या रहै सै फेर भी सुख का सांस कोन्या
एक बख्त टुकड़ा मिलज्या तो दुसरे की तनै आस कोन्या
लाकड़ होग्या तेरे शरीर का रह्या गात पै मांस कोन्या
पीळा पड़ग्या नक्शा झड़ग्या छिड़ग्या जी नै रासा सै
नहीं लंगोटी चिंता मोटी रोटी का भी सांसा सै
दुखड़ा भरणा धन्धा करणा घर ना और उपासा सै
तेरा बासा सै बेकार यार हर बार ये बात चली है
 
बख्ते उठ खड्या होज्या तू लाग काम पै जावे सै
माटी गेल्यां माटी होकै अपणी ज्यान खपावै सै
तूं हाड तोड़ की करै कमाई फेर भी दुखड़ा ठावे सै
तेरै नहीं छान तू हुआ बरान तेरी फंसगी ज्यान झमेले म्हं
तेरा कुणबा सारा फिरै बिचारा मार्या-मार्या हेले म्हं
ना कोड्डी पावै खड्या लखावै जब चाहवै ब्याह टेले म्हं
तेरी गेले म्हं परिवार बाहर हो त्यार जब रात ढळी है
 
पोह का पाळा पाणी देणा मारै दोहर की गाती है
जेठ साढ़ म्हं हळ जोड़ै जब चालती लू ताती है
बुढा पाळी बुढिय़ा रूखाळी रोटी घर आळी लाती है
बोवै बाहवै फसल उगावै ठावै सै जब होज्या त्यार
भरकै गाड्डी तुमने ठाडी जा ला दी लाला कै बार
आगै पावै जो साफ बणावै मजदूर लगावै इसमें झार
फेर सरकार लूट ले माल हाल एक दो तीन काल छळी है
 
म्हारी मेहनत का रेट बावळे ले रे अपणे हाथां मैं
सस्ती ले कै मंहगी देरे खाज्यां बातां बातां मैं
म्हारे पैर उभाणे सिर तै नंगे ना कुरते छोड्डे गातां मैं
मारे ज्यान तै कहूं ईमान तै बात ध्यान तै सुण ले भाई
एक हो ज्याओ सभा बणाओ आओ दूर करां कठिनाई
वर्ग लुटेरा जो दुख देर्या घेरा देकै लड़ो लड़ाई
सै कवीताई का खेल गेल ध्रुव मेल की बात भली है
 

3

आपस मैं हम लड़ां लड़ाई या असल कहाणी कोन्या
म्हारै उल्टी शिक्षा ला राखी ईब तक जाणी कोन्या
 
के तूं मेरा लेर्या सै मैं के खोसूं सुं तेरा
होरे सां कंगाल फेर भी कररे मेरी मेरा
नर्क म्हं म्हारा बसेबा होग्या सबनै पट लिया बेरा
बांस उठरी ढुंढां म्हं यू रह लिया रहन बसेरा
यौ सारी दुनियां कहै कमेरा या झूठी बाणी कोन्या
 
जितना काम काज दुनियां म्हं सब आपें कर रे सां
खान फैक्ट्री खेतां मैं हम कमा कमा मर रे सां
न्हाण खाण का ब्योंत रहा ना सब सांसे भर रे सां
हरदम फड़क फड़क रहै दिल म्हं इसे करड़े डर रे सां
कमा कमा किसकै धर रे सां जगह पछाणी कोन्या
 
समझ बढ़ी जब इन्सानों की एक वर्ग लुटेरा होग्या
लूट फूट की चाल चल्या और मालिक बडेरा होग्या
अपणी शिक्षा पढ़ा लिखा कै शेर बबेरा होग्या
उस जुल्मी के करणे तै यू दुखी कमेरा होग्या
इब तो उठ सवेरा होग्या या समों पुराणी कोन्या
 
दुख के तीर जगावण लागे उठ बैठे होल्यो नै
सभी कमेरे कट्ठेहोकै दुख अपणा रोल्यो नै
कट्ठेहोकै सारे चालो धन अपणा टोल्यो नै
हरीचन्द उस लुटण आळे दुश्मन नै खोल्यो नै
अपणे दुख धोल्यो नै मिलकै बात बराणी कोन्या
 

4

तेरा मेरा एक शरीर सै रे, मां का जाया बीर सै रे
ल्या कुछ फूल धराई दे
 
बहण भाई का प्यार जगत म्हं, इसा और नहीं संसार जगत म्हं
फेर बड़ा व्यवहार जगत म्हं, जो चलता रहै लगातार जगत म्हं
इसी मनै रूशनाई दे, ल्या कुछ फूल धराई दे
 
फ्रीज वीडीयो की नहीं जरुरत, बणी रहो मनै तेरी सूरत
लदो बधो और फुलो फळियो, अगत बेल सुथरी चलियो
दुनियां तनै भलाई दे, ल्या कुछ फुल धराई दे
 
ना चहिए मनै हाथी घोड़ा, ना चहिए मनै चादर जोड़ा
एक काम तू कर दे मेरा, कर दे दिल का दूर अन्धेरा
बेबे नै पढ़ाई दे, ल्या कुछ फुल धराई दे
 
भैय्या मेरे मनै पढ़ाइए, जिन्दगी मेरी सफल बणाइए
ज्ञान के द्वार मेरे खुल ज्यागें, हरिचन्द सब सुख मिल ज्यागें
बेबे तनै बधाई दे, ल्या कुछ फुल धराई दे
 

5

के दुनियां मैं आई सो सब नरक कै बीच सड़ी सो
हे ना कदर म्हारी सै कुए बीच पड़ी सो
 
जन्म होण तै पहलां गळ पै करदें सैं खड़ी कटारी
गरभ बीच म्हं मरवा दें सैं चालै सैं तेग दुधारी
बहुत घणी सी मारी जा री किस गफलत बीच बड़ी सो
 
जन्म हुवै जब म्हारे नाम का सोग मनावैं सारे
छोरी होगी छोरी होगी कहकै मन मुरझारे
लाड़ चाव तो कित थे म्हारे भूख की गैल लड़ी सो
 
जवान होण पै भारी पड़ज्यां पराया धन यें कह रे
नहीं पढावैं ना लक्खण लावैं पाप म्हारे सिर बह रे
दहेज पै दुल्हन कहकै देरे इस खाने बीच अड़ी सो
 
सारी जिन्दगी बहु बणीरां ना कोए पूछ हो म्हारी
गाळ गळोच और मारपीट म्हं उमर गंवाद्यां सारी
हरीचन्द या दुखिया नारी क्यों धरती बीच गड़ी सो
 
 
 

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