राजेश दलाल की रागनियां

राजेश दलाल

रोहतक जिला के चिड़ी गांव में जन्म। स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की। बचपन से रागनी तथा गीत गाने का शौक। ज्ञान-विज्ञान आन्दोलन से जनवादी एवं प्रगतिशील लेखन की नजर पाई। समसामयिक मुद्दों पर सामाजिक समता, न्याय के सरोकार की रागनियां लिखीं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हुई हैं। राजकीय प्राथमिक पाठशाला, मोरखेडी, रोहतक में प्राथमिक अध्यापक।
सम्पर्क पता: 2650, सेक्टर 3, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी,रोहतक

1

चीस भड़क ऊपर भीतर तै घाय्ल कर दिया
गूंठे पै डाका गेर्या कंगाल कर दिया
 
बणा गार का गुरू मनै तै, करी साधना भारी
भूख प्यास दिन रात चला चल जमकै कला निखारी
चौगरदै रूक्का होग्या मैं तपग्या धनुष धारी
तेरे तै सो बै आच्छा था गार का द्रोणाचारी
महान सुणे थे देखो कोड बबाल कर दिया
मजे मन्द मियां नै मुर्गा हलाल कर दिया
 
हुई उजागर आज गुरू तेरी वाह-वाही थी झूठी
शिष्य आस्था ठोकर मारी पी कै राज की घूटी
गुरूपणे के नियम-कायदे टांग धरे सब खूंटी
मुझ निर्धन के अरमाना की तीज दिवाळी लूटी
उठै-पडै़ सै झाल बदन मैं भूचाळ कर दिया
धान-धान लिये झाड़, सुखी पराळ कर दिया
 
फर्ज गुरू का नम्बर वन सै तेल घाल दे बाती मैं
थू-थू होवैगी तेरी चौगरदै क्यूकर बणू हिमाती मैं
आदर मिलना मुश्किल सै तनै दलित-भील जाति मैं
अर्जुन भी तेरै मारै एक दिन खींच तीर छाती मैं
तू सौचै सै पांडवा का ऊंचा भाल कर दिया
ओ! धर्म गुरू तनै धर्म भ्रष्ट फिलहाल कर दिया
 
कोये तै बता दो के काढ्या मनै द्रोणा गुरू बणा कै
इब चल्या मैं तीर धनुष यू कट्या अंगूठा ठाकै
मेरी माता जब देखैगी वा तै मरज्यागी अरड़ा कै
और सवाया बणणा सै इब पैर तै तीर चला कै
मुसीबतां नै तगड़ा राजेश दलाल कर दिया
ऊंचै और जाणे का पक्का ख्याल कर दिया

2

इन्कलाब का दहका खाकै गोरी सत्ता मृत होगी
झुण्ड के झुण्ड जां जय जय करते लाहौर जेळ तीर्थ होगी
 
दसौं दिशा लहरागी लपटें भट्ठी होगी लाहौर मैं
भारत मां की लाडली माया कट्ठीहोगी लाहौर मैं
क्रान्ति का जन्म होया फेर छट्ठी होगी लाहौर मैं
विकटोरिया के ताज की रे-रे मिट्टी होगी लाहौर मैं
पर भगत सिंह के विचारां कै तै बुलटप्रूफ परत होगी
 
आजादी की शादी मैं बाराती फिरैं क्रान्ति के
जादूगर ज्यूं डमरू बजा करतब करैं क्रान्ति के
धधकती लौ, मस्ताने पतंगे चिपट-मरैं क्रान्ति के
सामण-भादौ बूंदा की जगां अंगारे गिरैं क्रान्ति के
गहरी खाई गुलामी की इब सिर-धड़ से भरत होगी
 
मिलाइयो रै मनै मेरे भगत तै ताऊ चश्मे तार कह
कोयल बोली जब गाऊं तू चाल चलण नै त्यार कह
एक नन्हा मेंमना उछल पड़ा उनै म्हारी नमस्कार कह
ओये-होये रै हम गये काम तै स्वर्ग पड़े अवतार कह
जाऊंगी मै तै मूळ ना मानुं राजा-राणी मैं शरत होगी
 
रंग दे बसंती चौला ओये मां राष्ट्र-गाणा होता जा
जेल-अदालत, काळ-कोठडी ठेल-ठिकाणा होता जा
भूख हडताळी नाचैं कूदैं गजब का वाणा होता जा
आबो-हवा इसी फिरगी रळदू भी स्याणा होता जा
साम्राज्यवाद की बेड़े-बन्दी झेरै डूब गरत होगी
 
भगत सिंह के जिकर सुणे तै होजां सै अरमान खड़े
क्रान्ति के अर्थ बता वो करग्या सबके ध्यान खड़े
राजेश कह या के बणैगी खुद मौत के होगे कान खड़े
वायस-राय नै थाळी मैं भी दीखै हिन्द जवान खड़े
यो नजारा नजर बसा ल्यो ना तै फांसी भी अनर्थ होगी

3

हीर-रांझा, लैला-मजनू किस्से बाजैं गळी-गळी
लैला-मजनू को मार रहे पंचातां की तलवार चली
 
प्यार महोब्बत के किस्से अडै़ रातूं गांवै जोगी
गदर, देवदास, वीर-जारा नरे रप्पिये ढोगी
रफी के गाणे गांवै गर्व तै बणकै प्रेम रोगी
प्यार बिना जिन्दगी की बता द्यो किसी कल्पना होगी
प्यार प्रेम के असल राज की दीख ली सै इब तळी
 
गीता-भूमि हरियाणे मैं चौडै़ हुए अन्धेरे
लैला का ना भाई कोये अड़ै मजनू बणै भतेरे
प्यार नै भगवान कहै पर प्यार पनपने ना दे रे
कृष्ण भगवान भी आते ना गोपणीयां संग जीसा ले रे
ये सरव खापी जल्लाद बणे इन जवानां कै फांसी घली
 
तनै बे-अनुमान नुकसान कर लिया लाले जोड़ सरव खापी
अकल चली सर्वनाश करण तेरी वापिस मोड़ सरव खापी
रिवाज तनै भी तोड़े होगें ना तामस तोड़ सरव खापी
गोरां जिसे लुटेरे अड़ै उनका सिर फोड़ सरव खापी
समाज-सुधार की सोच ले नै कुछ तैरी खातिर या बात भली
 
यहां मां-बहणों की इज्जत लुटती यू के इज्जत कै बट्टा ना
लडकी को रहे मार गर्भ मैं जब मान थारा घट्या नां
गलबा गुण्डे भ्रष्टाचारी का गुण्डा राज इबै हट्या नां
राजेश कहै सै इन पै कोए सोचता उल्लू का पट्ठा नां
सीम रे मुंह स्याणे पंचैयती चुप बैठी क्यूं असेम्बली

4

(तर्ज – ओ मेरी महबूबा तुझे जाना है तो जा)
जाणा पडै रांझे, तू मतना लडै़ रांझे
प्यार नै जगांह कडै रांझे प्रेमियां तै देश चिडैं रांझे
पत्थर दिल ये समझै कोण म्हारी प्रेम कहाणी नै
कीमत प्यार की, मोहलत यार की, अडै़ बस राजा-राणी नै
 
धुर-दिन तै तू जाणै रांझे हीर की तासीर
घायल सै हिरणी नां मार तीर दे-दे धीर
प्रेम डोर तगड़ी कर दे दुख-सुख का साझा सीर
दगाबाज खुद घर का भी देज्या रांझे दुख आखिर
पटमल, चाचा, मूछ पैना माचा
रिश्ते धर दिये धार पै हो मनै प्रेम पुगाणी नै
 
हम बीरां की जात हो रांझे प्यार पै कुर्बान
देखै तै दखादूं ले लीले-काळे निशान
हथेळी पै ज्यान धरकै पास हो यू इम्तिहान
सजा मौत मेरे जिसी नै देखै सब त्योर-ताण
लाण्डे-बूचे सारे, हथियार पिना रे
मैं चकमा देकै आई देख तू जोखम ठाणी नै
 
प्यार ही खुदा है खिणदूं, लिखावट भी कर जाणू
वफा के सितारे-बिन्दी, सजावट भी कर जाणू
ताजा राखूं प्यार नै मैं, तरावट भी कर जाणूं
पटमल की पटडी पाडू, रूकावट भी कर जाणूं
मैं ढूंढती मौका, सै हौंसला चोखा,
तोडै कै नै चट्टान सींच ल्यूं मीठे पाणी नै
 
बेगां-बादशाह ना इक्का म्हारै तुरफ चाल का
फटका बणा ल्यां फिर भी शिकारी के जाल का
भाजगी लफंगी कहै गे जमाना बद ख्याल का
प्यार के फरिश्ते देगें जबाब इस बबाल का
उड़ै जुडैग़ी पंचायत, रे लियो मेरी हिमात
राजेश डोब्या उल्लू-अदालत छोरी खाणी नै

5

तेरे होण की सुणकै एण्डी तुफान सिंह भी हाय्ल पड़े
बेटी देख या के बणी ये तै मिलकै मारण च्याल पड़े
 
अल्ट्रा सांउड मैं देखी तेरी करी जांच दे-ले कै
काबू कर्या डाक्टर गांधी-छाप लक्षमी देकै
बैठ गई मैं पूछ-पूछ आंसू च्यारूं पल्ले भे कै
पढ्या लिख्या कुणबा दीखै ना अकल किसे गधे कै
देवी सरस्वती कहै पूजै पर मौकै बोगस ख्याल पड़े
 
जो होज्या होज्या तै होज्या आगै बढण की भी बाण मनै
जालिम कुणबे खनदान अर गाम-समाज की जाण मनै
तू आती तै संकट ल्याती न्यू भी पक्की पिछाण मनै
बड्डी बेबे तेरी हुई घरके होगे थे ताण मनै
भिड़ा-भिड़ाकै मारी थी मैं पाट्टे साळ मैं बाळ पड़े
 
हो जाता जै जन्म तेरा ना मिलती सुख की सांस तनै
भाई तेरे हिस्से का चरे जा ना मिलै बावळी धांस तनै
छोर्यां की तू करती रीस तै मिलती गाळ पचास तनै
हाड-पैल में खपती तूं ये कित कहै थे शाबास तनै
भेद-भाव के षडयंत्र के घरके कदेए तै ढाळ पडै़
 
जो हमनै भोग्या वो दोगला संविधान तनै दे देते
आजादी-अधिकार छिन कै कन्यादान तनै दे देते
जोड़-तोड़ ला पति कहण नै श्रीमान तनै दे देते
अगले घर जां मिलै तावळे श्मशान तनै दे देते
रोज रंगे अखबार खून म��ं ल्या गिणवाद्यूं मिसाल पड़े
 
कहै राजेश छुपाकै नै कदे सरेआम मार जाणै
मन की मन मैं रहज्या सारी सुखाकै चाम मार जाणै
बच्ची-बुढ्ढी एकै बाढ्यै नीत-हराम मार जाणै
वफादार पितृसता के घोट तमाम मार जाणै
जवाब द्यो नै इस गाणे का स्यामी खुले सवाल पड़े

6

एक सुर मैं प्रस्ताव पास था बैरी नए-पुराणे का
दिल मैं चस-चस गहरा सदमा बेटी हे तेरे जाणे का
 
काम की बात पै देखले इनकी रोया-झीखी रहै सै
एक जणे नै कहदे तै झट वो दूजे नै कहै सै
अपणी इज्जत पल्लै ना छोरी का बैठग्या भय सै
नाश तावळा जा इस घर का न्यू तै बिल्कुल तय सै
समझदारी रही धरी बुढंग की, के फायदा इसे स्याणे का
 
अकेली सूं भरे घर मैं सब खाण-खाण के साथी
ढंग की बात ना भूलकै जाणै दांत-पाड़ बकवादी
बाबू नै भी ब्योंत देख फेर आंख मिचकै ब्याह दी
कहैं सैं इसनै घरवासा यहां जेळ और अपराधी
कोए देवै ना साथ यहां पै नाथ भी हाथ हिलाणे का
 
पछताऊं ईब तेरे बचाण पै ज्यान भी जै लड़ा देती
एक-एक ग्यारहा हों सैं हम डट कै टक्कर लेती
घुट-घुट कै बतळाती मैं मन की सारी तेरे सेती
पढकै आती, आगे पीछे तै खांड-कसार भी भेती
गोद मैं बिठा खिळाती-खाती मजा बैठता खाणे का
 
इधर-उधर, ऊपर-नीचै मनै दिन-रात तूं दीखै सै
रोशन करती हिरदा मेरा दीए की बात तूं दीखै सै
मैं दबकोऊं रजाई मैं दूणी चलाती लात तूं दीखै सै
आकाश मैं देखूं – ‘बाय मम्मी’ हिलाती हाथ तूं दीखै सै
आंऊ-आऊं कह गोद मैं प्रयास करै तू आणे का
 
आगै जीत मेरी पक्की मैं गर्भ गिरावण ना दूं
प्रण-प्रतिज्ञा करती मैं हे लाडो दोबारा आ तूं
किलकारी मारकै, गोद मैं चढ़कै, कहदे हंसकै मां तूं
बच पावै ना हत्यारा ईब देखिए मेरे भी दा तूं
राजेश भी तारणा चाह्वै फर्ज तेरे उल्हाणे का

7

राजा जी तनै कह्या करंैगे फोटू देख भटक ज्याणा
न्यूएं भटकता फिरा करै सै गाडी देख लटक ज्याणा
 
फोटू देख चकराए राजा मनै तै हांसी आवै सै
आशिक हो तनै लाख बधाई मिलती राशि आवै सै
लालचट चेहरे पै बालम खिंची उदासी आवै सै
उठो इब न्हा-धो लो मुंह तै बांस बासी आवै सै
फोटू आळी बचाले इनै यू मरैगा पैर पटक ज्याणा
 
यू फोटू का चक्कर तेरी बेजती का बैण्ड बजवा देगा
जनता थू-थू थुकैगी तेरे पकड़ कान खिचवा देगा
गैर चलण के गुनाहगार को किस मुंह तै सजा देगा
ताऊ तरारे बाज कोए तेरी डोगै नाड़ उळझा देगा
चुल्लु भर बेजती का पाणी मुश्किल होवै गटक ज्याणा
 
तू सोचै के तैरे सिवा धरती पै और चंगा कोन्या
मनै सन्दक छैल-छबीले देखे मेरा त्योर भंगा कोन्या
पति पणे की तेरे सिवा और दिल मैं हुई जंगाह कोन्या
सुन्दरता हृदय मै वास सै राखूं और पंगा कोन्या
ओ गैस सिलेण्डर देख चिंगारी फटदे नहीं फटक ज्याणा
 
मर्दां की थारी ज्यात पिया जी ज्यात पिटे बिन मानो ना
जुलूस जोर जूतां की माळा घाट घटे बिन मानो ना
जित भी मिलै स्वाद जीभ का चाट चटे बिन मानो ना
मेरे जिसी नै धूळ चटा द्यो काट कटे बिन मानो ना
धर्म शास्त्र पाठ पढाओ सीधी राही सटक ज्याणा
 
राजा हो कै कतई डूबग्या फर्ज भूलग्या असली तू
तू राजा मैं सौतण करदी सौ का सौ सै नकली तू
राणी पणे नै के चाटै गी कतई तोड तै घिसली तू
राजेश कहै गू खाण दे इसनै क्यूं डर री सै पगली तू
शरीर का भूखा भेडीया सै यो जा गा तनै झटक ज्याणा

8

धरती बिन कोये धरती कारण धरै गये धार पै
भूखमरी की भेंट चढे कोये धन की मारो-मार पै
 
भूमि बिना बेचारा होज्या ना हो ठेल-ठिकाणा-ठोस
दो गठड़ी पै हांड होज्या पांच-सात-दस-बारहा कोस
पाड्या पड़ाया न्यार फैंक दे दाती-पल्ली लेवैं खोस
क्यूकर डाटै झाल बदन की उठ जोर सुनामी जोश
पटक-पटक सिर रोणा हो सै इस बे-तुकी हार पै
वो भी चाहवै फोरड़ रिंगै ट्रेलीयां की लार पै
 
भूमिहीन तै मरे सो मरे धरती आळे भी हुऐ बिराण
मां-जायां के चलैं मुकदमें, हक तै बाहर बिठा दी बाहण
बाप काट दिया कस्सी तैं  कितै मारैं गंडासी लहू-लूहाण
शास्त्री का नारा डोब्या जय जवान जय किसान
हथकड़ी लग्या पूत का फोटो फस्ट पेज अखबार पै
भाई चारे न छुटा लिया फेर दाब दई सरकार पै
 
भूखमरी का रोग सूखणा जिसकै लागै वो जाणै
आंख्यां आगै बाळक बिळकैं के हालात ल्हको जाणै
आसंग और आसार खत्म हों माणस करणा छोह जाणै
मामूली बिमारी भी अडै़ काळ की घण्टी हो जाणै
लाडो पड़ी बेहोश थी उसकी एक सो तीन बुखार पै
भाजै लूज कै ले कै आया दो सौ रूपये यार पै
 
पांचो आंगळी घी मैं जिनकी वे भी कहरे हाय मरगे
माया ठगणी जोर जमा गी नीत कोबळी करगे
दो नम्बर के अड्डे-सड्डे सारै ठइये धरगे
माल गोदाम बैंक सड़ै सै लूट-लूट कै भरगे
इब किस पार्टी का टिकट लेवां आज मीटिंग इस विचार पै
राजेश कह लात मारद्यो इसां के रोजगार पै
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *