गाँव एक गुरुद्वारे दो – सुरेंद्र पाल सिंह
बात सामान्य सी है लेकिन सामान्य लगने वाली बातों के हम इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि असामान्य बातें आँखों से ओझल होनी शुरू हो जाती हैं। हिंदू मन्दिर तो सदियों से केवल द्विजों के लिए ही शास्त्रसम्मत विधान से बनते रहे हैं लेकिन कोई गुरुद्वारा जब समुदाय के आधार पर बने तो सवालिया निशान लगना वाजिब है। मगर जब कोई बात आम हो जाए तो खास नहीं लगती। फिर भी आम के पीछे छुपे हुए खास को देखना आवश्यक है जिससे हमें सामाजिक डायनामिक्स की शांत और सहज दिशा और दशा का भान होता है। … Continue readingगाँव एक गुरुद्वारे दो – सुरेंद्र पाल सिंह