Post Views: 6 यह सूधौ सनेह कौ मारग है, इहां नैकु सयानप बांक नहींतुम कौन धौं पाटी पढे हौ लला, मन लेहु पै देहु छटांक नहीं ? आनन्दघन ने अपनी…
मार्क्सवादी ऋषि:आचार्य रामविलास शर्मा – डॉ.अमरनाथ
रामविलास शर्मा लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के गोल्डमेडलिस्ट थे, डॉक्टरेट थे और बलवंत राजपूत कॉलेज आगरा में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे किन्तु उन्होंने अपना सारा महत्वपूर्ण लेखन अपनी जातीय भाषा हिन्दी में किया। उन्होंने भाषाविज्ञान की किताबें हिन्दी में लिखकर यहां के बुद्धिजीवी वर्ग की औपनिवेशिक जड़ मानसिकता पर प्रहार तो किया ही, अपनी जाति के प्रति त्याग की एक अद्भुत मिशाल कायम की।
हिन्दी के प्रथम आचार्य : महावीर प्रसाद द्विवेदी
आचार्य द्विवेदी को हिन्दी नवजागरण का केन्द्रीय पुरुष कहा जा सकता है. वे अपने समय और परिवेश के अत्यंत सजग आलोचक हैं. (लेख से)
सादगीपूर्ण व्यक्तित्व और सहज लेखन के धनी भवानी प्रसाद मिश्र – अरुण कुमार कैहरबा
‘कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो।
जिस जगह जागा सवेरे, उस जग से बढ़ के सो।’
साहित्य की महत्ता – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। 17 वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया।
हिंदी-साहित्य के इतिहास पर पुनर्विचार – नामवर सिंह
इतिहास लिखने की ओर कोई जाति तभी प्रवृत्त होती है जब उसका ध्यान अपने इतिहास के निर्माण की ओर जाता है। यह बात साहित्य के बारे में उतनी ही सच है जितनी जीवन के।
कविता हमारे भीतर की देवतुल्य मौजूदगी के प्रति एक संकेत है – बेन ओकरी
कविता हमारे भीतर की देवतुल्य मौजूदगी के प्रति एक संकेत है और हमें अस्तित्व के उच्चतम स्थानों तक ले जा एक गूंज में बदल जाने का कारण बनती है। कवि आपसे कुछ नहीं चाहते, सिवाय इसके कि आप अपने आत्म की गहनतम ध्वनि को सुनें।
मैं क्यों लिखता हूं? – दिनेश दधिची
Post Views: 459 डॉ. दिनेश दधीचि (दिनेश दधीचि स्वयं उच्च कोटि के कवि व ग़ज़लकार हैं। और विश्व की चर्चित कविताओं के हिंदी में अनुवाद किए हैं, जिंन्हें इन…
चेतना का रचनाकार तारा पांचाल
Post Views: 409 रविंन्द्र गासो हरियाणा में लिखे जाने वाला साहित्य राष्ट्रीय विमर्शों में कम ही शामिल रहा। इसके कारण, कमियां या उपेक्षा…
सरबजीत, तारा पांचाल और पिलखन का पेड़ -ओमसिंह अशफाक
Post Views: 446 ओमसिंह अशफाक सरबजीत (30-12-1961—13-12-1998) दोस्तों का बिछडऩा बड़ा कष्टदायक होता है। ज्यों-ज्यों हमारी उम्र बढ़ती जाती है पीड़ा सहने की शक्ति भी क्षीण होती रहती है। जवानी…