Post Views: 294 इसाए जी हो गरीब्बां जो अन्न पाणी वो दासइसीए हो सै भूख जयसिंह इसी ए होया कर प्यास सांप के पिलाणे तैं भाई बणै दूध का जहरप्यार…
जमाना ही चोर है – धनपत सिंह
Post Views: 331 जमाना ही चोर है, पक्षी-पखेरू क्या ढोर है कोये-कोये चोर है जग म्हं लीलो आने और दो आने काजवाहरात का चोर है कोय, कोय है चोर खजाने…
हे तूं बालम के घर जाइये चंद्रमा – धनपत सिंह
Post Views: 267 हे तूं बालम के घर जाइये चंद्रमा,जाइये चंद्रमा और के चाहिये चंद्रमा आज सखीयां तैं चाली पट, दो बात सुणैं नैं म्हारी डटघूंघट तणना मुश्किल, बोहड़ीया बणना…
कलम घिसे और दवात सुकज्या हरफ लिखणियां थक ले – धनपत सिंह
Post Views: 343 कलम घिसे और दवात सुकज्या हरफ लिखणियां थक लेरै मेरी इसी पढ़ाई नैं कौण लिखणियां लिख ले इतणै भूक्खा मरणा हो इतणै वा झाल मिलै नागुमसुम रहैगा…
मात, पिता और भाई, ब्याही, सब नकली परिवार – धनपत सिंह
Post Views: 458 मात, पिता और भाई, ब्याही, सब नकली परिवारदुनियां के म्हं बड़ा बताया पगड़ी बदला यार किरसन और सुदामा यारी लाए सुणे होंएक ब्राह्मण और एक हीर कै…
हळ जोतै खेत कमावै जगपालन जमीदार हो सैं – धनपत सिंह
Post Views: 345 हळ जोतै खेत कमावै जगपालन जमीदार हो सैंचाक घुमावै बास्सण तारै वोहे लोग कुम्हार हो सैं क्यूं लागी मनैं विसवासण, हम घड़ते माट्टी के बास्सणतांबे और पीतळ…
पाक है मोहब्बत म्हारी ना हे बदमाशी – धनपत सिंह
Post Views: 307 पाक है मोहब्बत म्हारी ना हे बदमाशीहीरामल तैं पहल्यां मनैं टुटणा है फांसी पाक मोहब्बत दुनियां के म्हं सबतैं बड़ी करारी हो सैफेर जी के लेणा हो…
मेरा जोबन, तन, मन बिघन करै, कुछ जतन बणा मेरी सास – धनपत सिंह
Post Views: 304 मेरा जोबन, तन, मन बिघन करै, कुछ जतन बणा मेरी सासदिन रैन चैन नहीं पिया बिना, छ: ऋत बारहा मास चैत चाहता चित चोर को चले गए…
तुम जाओ सुसरा सास – धनपत सिंह
Post Views: 205 तुम जाओ सुसरा सास,समझा ल्यूंगी जब आज्यागा मेरे पास मेरे बुझे ताझे बिना कित भरतार जावैगामेरा वो गुनाहगार क्यूकर तजकै नार जावैगाधमका द्यूंगी करड़ी हो कै क्यूकर…
जाण द्यो बस रहाण द्यो हे दबी दबाई बात – पं. लख्मी चंद
Post Views: 273 पं. लख्मीचंद के पदमावत सांग से एक रागनी. मर्दवाद पर स्त्री की प्रतिक्रिया. ये सृजनात्मक दृष्टि का ही प्रतिफल है कि जब कोई लेखक चाहे वह खुद…