सीमाएँ – लिन अंगर
Post Views: 161 लिन अंगर (अनुवाद- दिनेश दधीचि) तुम्हारे गिर्द नहीं घूमता है ब्रह्माण्ड. अंतरिक्ष की नृत्यशाला में घूमते हुए ये ग्रह और सितारे तुम्हारे लघु जीवन से बिलकुल बाहर
Post Views: 161 लिन अंगर (अनुवाद- दिनेश दधीचि) तुम्हारे गिर्द नहीं घूमता है ब्रह्माण्ड. अंतरिक्ष की नृत्यशाला में घूमते हुए ये ग्रह और सितारे तुम्हारे लघु जीवन से बिलकुल बाहर
Post Views: 221 एड्मंड बर्क (1729-1797) अनुवाद दिनेश दधीचि आईने में जब मैं देखूं क्या दिखता है उसमें मुझको? एक शख़्स लगता अजीब-सा मैं तो कभी नहीं हो सकता। ज़ाहिर
Post Views: 153 सारा टीज़डेल (1884-1933) अनुवाद दिनेश दधिची जीवन का माधुर्य सकल औ’ सारी सुंदर शानदार चीज़ें बिकती हैं। जी हां! तट की इक चट्टान के ऊपर श्वेत हो
Post Views: 214 ल्युइस कैरोल (1832-1898) अनुवाद दिनेश दधीचि कैसे नन्हा मगरमच्छ अपनी चमकीली दुम संवारता है। अपने हर सुनहरे शल्क के ऊपर नील नदी का पानी डालता है। देखो, कैसे
Post Views: 161 लॉर्ड बायरन (1788-1824) अनुवाद -दिनेश दधीचि और नहीं जायेंगे हम नौका-विहार को बंद हुआ अब देर रात तक साथ टहलना चाहे दिल में प्यार तरंगित है पहले-सा
Continue readingऔर नहीं जायेंगे हम नौका-विहार को – लॉर्ड बायरन
Post Views: 123 कॉवेंट्रि पैट्मोर (1823-1896) अनुवाद दिनेश दधीचि मेरा नन्हा बेटा शांत रहा करता था अक्सर बड़ों के जैसी चिंतनशील निगाहों से देखा करता था, वैसे ही चलता-फिरता था
Post Views: 161 कैरल ऐन डफ़ी (जन्म 1955 ) अनुवाद -दिनेश दधीचि दरिया का स्वरूप है बगुला रजनी की सूरत है चांद गगन बना है रूप अनंत का श्वेत दीखते हिम
Post Views: 251 मैथ्यू आर्नल्ड (1822-1888) अनुवाद दिनेश दधीचि अपनी सँकरी शय्या में लेटो घुस कर अब जाओ, कुछ मत और कहो . व्यर्थ रहा आक्रमण तुम्हारा, सब पहले जैसा
Post Views: 248 रॉबर्ट ब्राउनिंग हैमिल्टन (1812-1889) अनुवाद – दिनेश दधीचि एक मील मैं चला एक मील मैं चला ख़ुशी संग वो बतियाती रही राह भर। कितना कुछ बतलाया उसने
Post Views: 256 एमिली डिकिंसन (1830-1886) अनुवाद – दिनेश दधीचि (1) जड़े मोती हैं जिन प्यालों में उनमें ढाल कर मैंने चखा है स्वाद उस मय का कि जैसी बन नहीं