संत रैदास को याद करते हुए – अरुण कैहरबा
Post Views: 45 उपजे एक बूंद तै का बामन का सूद। मूरख जन ना जानई सबमैं राम मौजूद।। रविदास जन्म के कारनै होत न कोऊ नीच। नर कूं नीच करि
Post Views: 45 उपजे एक बूंद तै का बामन का सूद। मूरख जन ना जानई सबमैं राम मौजूद।। रविदास जन्म के कारनै होत न कोऊ नीच। नर कूं नीच करि
(इस पर आइंस्टीन के अलावा अन्य कई गणमान्य व्यक्तियों के हस्ताक्षर थे। यह पत्र 2 दिसंबर 1948 को लिखा गया और 4 दिसंबर 1948 को प्रकाशित हुआ) … Continue readingआइंस्टीन का पत्र
Post Views: 19 आपको यह जानकर खुशी होगी कि जिस नूह में पिछले दिनों सांप्रदायिक दंगे कराये गये उसी इलाके में नूह के नज़दीक आकेड़ा गांव में अठारहवीं सदी में
Continue readingमेवाती शायर सादल्ला, जिसने मेवाती बोली में लोक महाभारत रचा – जीवन सिंह
Post Views: 24 हम हरियाणा के जिस इलाके में रहते हैं उसमें गांव में पूजा के मुख्य स्थलों में खेड़ा, पीर, सती तथा डेरे मुख्यत: सामूहिक पूजा स्थलों के तौर
Continue readingहरियाणा में दैनिक जीवन और धर्म – मानव प्रदीप
Post Views: 35 (1) मानव सभ्यता के साथ किसी न किसी रूप में धर्म जुड़ा रहा है। आधुनिक काल से पूर्व युगों में सृष्टि की रचना एवं संचालन की परम-सत्ता
Continue readingसूफीवाद की सार्थकता और प्रासंगिकता -प्रेम सिंह
अमीर खुसरो किसी विशेष धर्म-संस्कृति संबंधित न होकर हिंदुस्तान की साझी-संस्कृति, साझी विरासत के प्रतीक हैं। वर्तमान समय में जबकि धार्मिक वैमनस्य चरम पर है तथा अपनी-अपनी धर्म-संस्कृति को लेकर छोटे-छोटे प्रसंगों में तनाव एवं अराजकता की स्थिति बन जाती है, वहाँ उनके जीवन-चरित्र एवं साहित्य से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। गंगा-जमुनी तहजीब हिन्दुस्तान की परंपरा एवं पहचान है और अमीर खुसरो इस गंगा-जमुनी तहजीब के प्रतीक हैं। … Continue readingअमीर खुसरो: हिंदुस्तान की साझी संस्कृति, साझी विरासत – सोफिया खातून
भगवतीचरण बोहरा व दुर्गादेवी (क्रांतिकारी इन्हें दुर्गा भाभी कहकर पुकारते थे) का क्रांतिकारी इतिहास में उल्लेखनीय योगदान है। संगठन की रणनीति बनाने का काम हो, परचे-पेम्फलेट लिखने का काम हो, धन जुटाने को काम हो, सूचनाएं एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम हो या फिर बम बनाने का क्रांतिकारियों के हर काम में इस दंपति ने अग्रणी भूमिका निभाई। … Continue readingक्रांतिकारी शहीद भगवतीचरण बोहरा व दुर्गादेवी – डॉ. सुभाष चंद्र
लोहड़ी पंजाब के मौसम से जुड़ा ऐसा त्यौहार है, जिसकी अपनी अनुपम विशेषताएं हैं। जैसे यह त्यौहार पौष की अंतिम रात को मनाया जाता है, जबकि भारत के दूसरे भागों में अगले दिन ‘संक्रांति’ मनाई जाती है। इस त्यौहार पर पंजाब के लोग आग जलाते हैं। संक्रांति पर ऐसा नहीं होता, केवल नदियों-सरोवरों में स्नान किया जाता है। लोहड़ी में तिलों और तिलों की रेवड़ियों की आहूति दी जाती है। … Continue readingपंजाब का सांस्कृतिक त्यौहार लोहड़ी – डा. कर्मजीत सिंह अनुवाद – डा. सुभाष चंद्र
1322 ई. में बंदा नवाज का जन्म हुआ। बंदा नवाज का पूरा नाम था सैयद मुहम्मद बिन सैयद युसुफुल अरूफ। इनके बाल बहुत बड़े-बड़े थे। अतः लोग इन्हें गेसू दराज (गेसू-बाल, दराज-बड़ा) भी कहते थे। इस समय ये ख्वाजा बन्दे नवाज गेसूदराज के नाम से स्मरण किए जाते हैं। … Continue readingबन्दानवाज
पीर बुद्धू शाह अपने चार पुत्रों, दो भाइयों और 700 अनुयायियों के साथ सढोरा से चलकर गुरु गोबिन्द सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े। इस लड़ाई में गुरु की फौज को जीत तो हासिल हुई, लेकिन पीर बुद्धू शाह के दो पुत्र अशरफ शाह और मोहम्मद शाह व भाई भूरे शाह शहीद सहित 500 अनुयायी शहीद हुए। … Continue readingपीर बुद्धू शाह – सुरेन्द्रपाल सिंह