Post Views: 3,184 मोहम्मद इरफान मलिक अरबी विभाग पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला यह लेख हरियाणा सृजन उत्सव 2019 में पंजाबी युनिवर्सिटी पटियाला, अरबी विभाग के मोहम्मद इरफान मलिक ने पेश किया…
चुराही पहेलियां (फड़ौणी)
Post Views: 297 चुराही (चंबा जिले के चुराह तहसील की पहाड़ी बोली) में पहेलियों को फड़ौणी कहा जाता है। जब बर्फ गिर रही होती है तो घर के सारे सदस्य…
हरियाणा का आर्थिक विकास और सांस्कृतिक पिछड़ापन – प्रोफेसर टी आर कुण्डू
Post Views: 1,825 एक नवम्बर 2015 को कुरुक्षेत्र में ‘देस हरियाणा’ पत्रिका की ओर से हरियाणाः साहित्य समाज और संस्कृति विषय पर सेमिनार का आयोजन किया। जिसमें अर्थशास्त्री प्रो. टी….
विश्व की समस्त भाषाओं के बारे में सार्वभौमिक सत्य – डा. सुभाष चंद्र
Post Views: 228 प्रोफेसर सुभाष चंद्र, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र जब लोग इकट्ठे होते हैं तो बात ही करते हैं। जब वे खेलते हैं, प्यार करते हैं। हम भाषा की दुनिया…
आबादी को उसकी भाषा से वंचित कर देना तो जुल्म है – डा. नवमीत नव
लेकिन अब एमबीबीएस के बाद ढाई साल के अध्यापन और फिर एमडी के तीन साल और अब एक साल से फिर अध्यापन के अनुभव से मुझे एक चीज पता चली कि आप किसी को पढ़ाना/ समझाना चाहें या किसी से पढ़ना/समझना चाहें तो यह काम सबसे बेहतर आपकी अपनी मातृभाषा में ही हो सकता है।
भारत के विकास के लिए भारतीय भाषाऐं जरूरी क्यों – प्रो. जोगा सिंह
Post Views: 232 विज्ञान की शिक्षा में चोटी पर रहने वाले देश: 2012 में विज्ञान की सकूल स्तर की शिक्षा में पहले 50 स्थान हासिल करने वाले देशों में अंग्रेजी…
विपिन सुनेजा – खेतों में लहलहाता संगीत
Post Views: 419 संगीत हमारे देश की मिट्टी में बसा है। इस मिट्टी में अन्न उगाने वाले कि सान के जीवन में अनेक ऐसे क्षण आते हैं, जब वह भाव-विभोर…
आंगण बीच कूई राजा (लोकगीत)
Post Views: 328 आंगण बीच कूई राजा डूब क: मरूंगी तू मत डरिए मैं तो औरां न: डराऊंगी जेठ लड़ैगा पाछा फेर क: लडूंगी आजा री जिठानी तेरे धान से…
हरियाणा में पंजाबी भाषा -डा. हरविन्द्र सिंह
Post Views: 1,415 भाषा विमर्श ‘पंजाबी’ शब्द से तात्पर्य पंजाब का निवासी होने से भी है और यह पंजाब-वासियों की भाषा भी है। पंजाब की यह उत्तम भाषा ‘गुरमुखी’ लिपि…
गुरनाम कैहरबा – हरियाणा में उभरता रंगमंच
Post Views: 787 रंगमंच आर्थिक रूप से समृद्ध माने जाने वाले हरियाणा प्रदेश में नाटक-रंगमंच व कला का क्षेत्र लगातार उपेक्षित रहा है। जिस वजह से यहां पर कलात्मक पिछड़ापन…