Category: देस हरियाणा

न जाने क्या ज़माना आ गया है – बलबीर सिंह राठी

Post Views: 104 ग़ज़ल न जाने क्या ज़माना आ गया है, ख़ुशी से हम ने ग़म अपना लिया है। चले आओ इधर लेकर उजाला, अंधेरे ने मुझे घेरा हुआ है।

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किसान-संघर्ष से जन्मी सत्ताओं ने ही किसान को दुत्कारा -सतीश त्यागी

Post Views: 199 खेती-बाड़ी 1930 के दशक में चौधरी छोटूराम  हरियाणा के किसानों का आह्वान कर रहे थे कि वे अपने हकों के लिए संघर्ष का रास्ता अख्तियार करें। खुद

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यादें – रोशन लाल श्योराण

Post Views: 205 कविता वो बचपन के दिन कड़ै गए, वो छूटे साथी कड़ै गए, मैं ढूंढू उनको गळी-गळी वो यारे प्यारे कड़ै गए। वो खुडिया-डंडा, वो लुका छिपी वो

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न जाने वक़्त की कैसी हवा है – बलबीर सिंह राठी

Post Views: 184  ग़ज़ल   न जाने वक़्त की कैसी हवा है, कि अब हर शख़्स ख़ुद बिकने लगा है। समन्दर बेच कर वो कह रहा है, हमारे वास्ते सहरा1

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बाॅडी साॅडी बणा लई तनै यो किसा ढिठोरा सै- विक्रम राही

Post Views: 165 विक्रम राही बाॅडी साॅडी बणा लई तनै यो किसा ढिठोरा सै असल बात तै लाख दूर किस ढाल का छोरा सै जोंगा जीप ट्रैक्टर डीजे बणा लिया

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कुर्सी के रोले नै देखो किस ढाल का काम करया- विक्रम राही

Post Views: 202 विक्रम राही कुर्सी के रोले नै देखो किस ढाल का काम करया माणस माणस भिडा दिए कैसा यो इंतजाम करया भाई नै भाई की चाहन्ना यो धर्म

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हरियाणाः तब और अब – राजेंद्र सिंह ‘सोमेश’ 

Post Views: 347 हरियाणा का वर्तमान स्वरूप एक नवम्बर सन् उन्नीस सौ छियासठ को मिला। तब से लेकर अनेक उतार-चढ़ावों को पार करते इस प्रांत ने कई पड़ाव पार किए

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साथ मेरे कोई जब चला दूर तक – बलबीर सिंह राठी

Post Views: 171  ग़ज़ल साथ मेरे कोई जब चला दूर तक, ख़ुद संवरता गया रास्ता दूर तक। पास आए जो तुम मुस्कराते हुए, भर गई ख़ुशबुओं से फ़ज़ा दूर तक।

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ऐसे ऐसे लोग भी शामिल थे अपने कारवाँ में – बलबीर सिंह राठी

Post Views: 152 ग़ज़ल ऐसे ऐसे लोग भी शामिल थे अपने कारवाँ में, ढूँढती थी जिनकी नज़रें अपनी मंजि़ल आसमाँ में। दूरियाँ जिनको बुलाती हो हमेशा अपनी जानिब, वो भला

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वो जिसने सब पे जादू कर दिया है – बलबीर सिंह राठी

Post Views: 151 ग़ज़ल वो जिसने सब पे जादू कर दिया है, नहीं मेरी तो फिर किस की सदा है। ये माना मरहले1 हैं रास्ते में, मगर हमने ये रस्ता

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