दोपहर का भोजन – अमरकांत
Post Views: 29 सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रख कर शायद पैर की उँगलियाँ या जमीन पर चलते चीटें-चीटियों
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Post Views: 43 गाड़ी के डिब्बे में बहुत मुसाफिर नहीं थे। मेरे सामनेवाली सीट पर बैठे सरदार जी देर से मुझे लाम के किस्से सुनाते रहे थे। वह लाम के
मुझे जानकर यह बहुत बड़ा आश्चर्य हुआ कि सात सैक्टर में अधिकांश बड़ी बड़ी कोठियों में केवल बुजुर्ग जोड़े ही रहते हैं सबके बच्चे बाहर हैं। अपनी देख भाल वे स्वयं ही करते हैं जैसे सरकारी बस पर सामने लिखा होता है ‘यात्री अपने सामान के खुद जिम्मेदार हैं ’ बच्चे अपने-अपने परिवार के साथ घर से बाहर देश विदेश में व्यस्त और मस्त। – प्रस्तुत है कहानी गंगाराम राजी की … Continue readingहैपी बर्थडे टू यू – – गंगा राम राजी
Post Views: 875 एस. आर. हरनोट (एस. आर. हरनोट शिमला में रहते हैं। हिंदी के महत्वपूर्ण कहानीकार के साथ-साथ साहित्य को जन जीवन में स्थापित करने के लिए अनेक उपक्रम
Post Views: 483 कहानी (तारा पांचाल 28 मई,1950 – 20 जून, 2009। ‘सारिका’, ‘हंस’, ‘कथन’, ‘वर्तमान साहित्य’, ‘पल-प्रतिपल’, ‘बया’, ‘गंगा’, ‘अथ’, ‘सशर्त’, ‘जतन’, ‘अध्यापक समाज’, ‘हरकारा’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में
Post Views: 705 वरिष्ठ साहित्यकार रत्न कुमार सांभरिया कहानी के नामचीन हस्ताक्षर हैं। कहानी सृजन के क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। उनकी कहानियों में ठेठ देसीपन
Post Views: 945 कन्हैयालाल अपने दफ्तर के हमजोलियों और मित्रों से दो तीन बरस बड़ा ही था, परन्तु ब्याह उसका उन लोगों के बाद हुआ। उसके बहुत अनुरोध करने पर
Post Views: 447 भैत्तर हजार की भोड़िया के साथ गांव की साधारण भोड़िया की कहा सुनी हो गयी। बात कहासुनी से शुरू होकर
Post Views: 579 वालैंट्री रिटायरमेंट स्कीम किसी उपकार की तरह पेश की गई थी, जिसमें लफाज्जियों का तिलिस्म था और कारपोरेट जगत का मुग्धकारी छल! इस छल का मुझे बाद
Post Views: 580 ‘भूमिहीन खेतिहर मज़दूर के लिए कुँवारी, परित्यक्ता, विधवा कैसी भी वधू चाहिए। शादी एकदम सादी, शादी का सारा ख़र्च वर पक्ष की ओर से होगा। अगर ज़रूरत