Post Views: 63 चाहे जिस देश, प्रान्त, पुर का हो जन-जन का चेहरा एक! एशिया की, यूरोप की, अमरीका की गलियों की धूप एक। कष्ट-दुख सन्ताप की, चेहरों पर पड़ी…
ज्ञान का दीप जलाओ साथी – राजकुमार जांगडा ‘राज’
Post Views: 22 ज्ञान का दीप जलाओ साथीअज्ञान अंधेरा मिटाओ साथी प्रेमपथ को अपनाने कोनफ़रत के मिट जाने कोसबको गले लग जाने कोअपनी बांहे फैलाओ साथी ज्ञान का दीप जलाओ…
राजकुमार जांगडा ‘राज’ की हरियाणवी कविता
Post Views: 26 अक्ल के दाणे नहीं मगज़ में, खुद बिद्वान बता रे सै ।झूठे भरै हुंकारे सारे , रै भेड चाल में जा रे सै ।। पूँछ हिलावै,सिर भी…
सिद्दिक अहमद ‘मेव’ की कविताएं
Post Views: 7 धर्म धर्म नाम पर कदी लड़ा ना, ना कदी कीनी हमने राड़, धर्म नाम पे लड़े जो पापी, वापे हाँ सौ-सौ धिक्कार । धर्म सिखावे प्यार-मुहब्बत, धर्म…
निराला की सरोज स्मृति – सुभाष चंद्र
दुख ही जीवन की कथा रही,
क्या कहूँ आज, जो नहीं कही!
सादगीपूर्ण व्यक्तित्व और सहज लेखन के धनी भवानी प्रसाद मिश्र – अरुण कुमार कैहरबा
‘कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो।
जिस जगह जागा सवेरे, उस जग से बढ़ के सो।’
सृजन उत्सव में गूंजी सवाल उठाती कविताएँ
देस हरियाणा और सत्यशोधक फाउंडेशन द्वारा 14-15 मार्च को कुरुक्षेत्र स्थित सैनी धर्मशाला में आयोजित हरियाणा सृजन उत्सव में दोनों दिन सवाल उठाने और चेतना पैदा करने वाली कविताएं गूंजती रही। देश के जाने-माने वैज्ञानिक एवं शायर गौहर रज़ा के कविता पाठ के लिए विशेष सत्र आयोजित किया गया। सत्र का संचालन रेतपथ के संपादक डॉ. अमित मनोज ने किया।
वक्ता और सरोता की जिब एक्के भास्सा सै – मंगतराम शास्त्री
हरियाणवी ग़ज़ल
हांसण खात्तर मनवा बेफिकरा चहिये सै – मंगतराम शास्त्री
हरियाणवी ग़ज़ल
बाह्मण – रविंद्रनाथ टैगोर, अनु – प्रोफेसर सुभाष चंद्र
‘मेरे लाडले,
द्विजां म्हं सै तू सबतै ऊपर,
सत्य सै तेरा बंश।’