कविता
शहर में कर्फ्यू है
सब घरों में घुस जाएं
इक ऐलान
अचानक फैल जाता है।
घरों में रहने वाले
ओर भीतर हो जाते हैं।
शहर में कर्फ्यू है
सेना का बसेरा है
शहर जंगल में तबदील है
सबने जंगदार हथियार संभाल लिए हैं
उपद्रवियों के सामने
सशस्त्र सेना है
उपद्रवी चिढ़ा रहे हैं
अपनी छातियां दिखा रहे हैं।
इस तरह
एक सफल अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा ( अंक 8-9, नवम्बर 2016 से फरवरी 2017), पृ.- 45