मछली – कमलेश भारतीय

मछली

लघु कथा

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                एक सुबह आम दिनों की तरह बाजार के लिए निकला। मोड़ पार करते ही मूंगफली पटरी पर फैलाए दो लोग बैठे दिखे। मैंने ध्यान नहीं दिया। पर बड़ी दुकानों, शोरूमों के माथे पर बल पड़ गए। दो दिन तक वे आग और धुएं से धुआं-धुआं होकर क्यों फिर उस मोड़ पर नजर नहीं आए?

    शायद बड़े शोरूम के मछली घर में से कोई बड़ी मछली उन्हें निगल गई, चुपचाप…

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